حکایت گل و نسران(قسمت آخر)
- حمومچی بی درمونِ دردِ نسران
- گرمایی دَ وِ لاشه سردِ نسران
- خوش وُ زَنِش پا لَشِ بیمارِ او
- چِل روز وُ شُو بیِن پِرستارِ او
- تا آخری مَریضشُ شَفا دی
- حُونَه شُ پُر بی دِ صَفا وُ شادی
- فَقط پَریشو دِ حونه حمومچی
- نسرانِ زُو بَسته تیکه ی خوشی دی
- صُو رَت حموم سَر وُ ری بَشورَ
- میحاس رُؤَ بِرارِشِ بَجورَ
- وِ حُکمِ ای وزیرِ نادونِ گُل
- دیشو هَم اُفتا سیکِ زِندونِ گُل
- گُل دیشو یی خواوِ پَریشونی دی
- نَسران دِ گوشه یِ زندونی دی
- تا وِریسا اُفتا سَرِ زونِ شا
- دستورِ آزادیِ زِندونیا
- وزیر که هَم دَردِ سَرینِ حِس کرد
- دستوری دَ اُو جَوَنِ دورِس کرد
- نوکَریا وزیرِ حونه خِراو
- نسرانِ واردِ جَوَ وَنِن دِ آو
- نسرانِ آو ،یَواش آورد باغِ گل
- میحاس خِلاصِش بَکَ دِ داغِ گل
- یَواشی دَس بُرد وُ کِلاوِ وِرداشت
- مِری دِ طالَ گُل عَذاوِ وِرداشت
- گل ، نسرانِ شِناخت وُ مِثلِ لیوَ
- هَم میخَنِس هَم مِوی دِ گِریوَ
- میخَنِس وُ میگُت: بِرارِم اُما
- سِتینِ قلبِ بیقرارِم اُما
- تَمومِ مردِم مِثِ اُور بهار
- گِریوِسِن وِ حالِ ای دو بِرار
- بَعدِ گِری دِ مِلِ یَک سَوا بین
- هَر دو شو مِنَت بارِ ای خدا بین
- گل وِ هَمه گُت که خُوشالِم ،خوشال
- وَقتَ دِرارِم دِ خوشالی دو بال
- ایسه که مرغِ غم بییَ آواره
- وِرَز یَ که بُؤَ وِ دَم ایواره
- هیمهَ زیادی هَمَتُ جَم بَکیت
- دِ پاتَشِش هِری وِ هَر غَم بَکیت
- وزیرِ نالایِقِنِ بیاریت
- هیکلِشِ وِ نازِ تَش وِراریت
- اگر میحایت خاطِرِم ِجَم بَکیت
- شَرِ وزیرِ زیتری کَم بَکیت
- مُطرِبیانِ هَمهَ دعوت بَکیت
- بُلبُلیا باغِ خِجالت بَکیت
- وِ چَنگِ تَش آخری او ناوزیر
- وِ جرمِ بی معرفتی بی اَسیر
- هَنی دِ سَر شهرِ چِراغو کِردِن
- پوسِ دُهُلیانِ دوارهَ دِردِن
- گل نِیا تاجِ سَرِ نَسران وُ گُت
- تو آخری رَسِسی وِ حَقِ خُت
- مِ هَم مُؤِم وزیرِ دَربارِ تو
- مونسِ روزگار وُ شوگارِ تو
- هَف سالَ که هَر دومو دِل زِوینیم
- باید که سیرِ دِل یَکِ بِینیم
- حَمومچی هَم دِ چِنگ غم رِها بی
- تا وَختی زِنَ بی رَفیقِ شا بی
- اَفسانَه نسران وُ گل اوما وِ سَر
- خدا دونَ چه شویای تا سَحر
- "عزیزِ" زوُ بسته نِشِسَ بیار
- نِوِشتِشَ تا بَمونَ یادِگار
+ نوشته شده در پنجشنبه دوم آذر ۱۳۹۱ ساعت 6:20 توسط عزیز نادری
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